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आतंकी याकूब के समर्थक गद्दार!

जिसने देना सीख लिया उसने जीना सीख लिया!
जिसने देना सीख लिया उसने जीना सीख लिया!
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आतंकी के समर्थक सभी गद्दार हैं

Narayan Kairo
to binay
Jul 29Details
1993 के मुम्बई हमलों में 257 लोग मारे गए और 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस नरसंहार के दोषी आतंकवादी याकूब मेमन को फांसी की सजा हुई है लेकिन
कितना घोर दुर्भाग्य है कि किसी ख़ास समुदाय को खुश करने के कारण सेक्युलर के पाखंडी 40 लोगों ने देशद्रोही याकूब मेमन की सजा माफ़ करने के लिए राष्ट्रपति को ख़त लिखा है। जिन लोगों को याकूब के मौत की सजा अमानवीय लग रही है उन्हें भला सैकड़ों लोग जो बेम विस्फोट में मारे गए उनमे इनको मानवता क्यों नजर नही आती? मानवता पर ये पक्षपात क्यों? मानना पड़ेगा कि
भारत अत्यंत विचित्र देश है शुरू से ही देश को
यहां निवास कर रहे कुछ जयचंद और विभीषण जैसे गद्दारों से देश और समाज
टूटता बिखरता रहा है। लंबे कानूनी प्रक्रिया के बाद याकूब मेमन को मौत की
सजा मिली है फिर वो
सैकड़ो बेकसूरों के मौत का दोषिदार है फिर आखिर किस बिना पर एक राष्ट्रद्रोही को बचाने की कोशिश कुछ लोग कर रहे हैं? सैकड़ो लोगों का जान लेने वाले देशद्रोही का समर्थन करना क्या देशद्रोह नहीं? क्या ये देश के खिलाफ गद्दारी नहीं है? एक आतंकवादी के समर्थन करने वालों के खिलाफ क्या देशद्रोह का मुकदमा नहीं चलना चाहिए? सरबजीत सालों पाकिस्तान की जेल में बन्द रहा ,उसकी बहने दर बदर उसकी रिहाई की गुहार मांगती रही और उसे पाकिस्तान की जेल में मार दिया गया। तब किसी इस तरह के सेक्युलर के जमात
और मानववधिकारों की झुण्ड ने कभी सरबजीत के समर्थन में पाकिस्तान के खिलाफ आवाज क्यों नही उठाई?आज जब सैकड़ों मौत के गुनहगार को फांसी की सजा मिली तो देश के चन्द दगलबाज,दिखावे के टट्टू,वकील से लेकर नेता और अभिनेता चिल्ला रहे हैं।क्या ऐसे घर में छुपे देशद्रोही मानसिकता वालों को भी फांसी नहीं दी जानी चाहिये? सर्वोच्च न्यायलय के फांसी बरकरार रखने के फैसले ने आतंकी को समर्थन कर रहे कुछ गद्दार बेनकाब हुए हैं।
-नारायण कैरो
courtesy:narayankairo.com

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